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शनिवार, 1 अगस्त 2020

झूठे ग्राहक और झूठे दुकानदार

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महर्षि दयानन्द सरस्वती कृत "व्यवहारभानु" से उद्धृत ।

संकलनकर्ता :---- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री

एक किसी अधर्मी मनुष्य ने किसी अधर्मी बजाज की दुकान पर जाकर जाकर कहा कि यह वस्त्र कितने आने गज देगा ? वह बोला कि 16 आने । तुम भी कुछ कहो । 

जाज और ग्राहक दोनों जानते थे कि यह दस आने गज का कपड़ा है, परंतु अधर्मी झूठ बोलने में कभी नहीं डरते ।

ग्राहक :--- छः आने गज दो और सच-सच लेने देने की बात करो ।

बजाज :--- अच्छा तो तुमको दो आने छोड़ देते हैं । 14 आने दो ।

ग्राहक :--- है तो टोटा, परंतु सात आने ले लो ।

बजाज :--- अच्छा तो सच सच कहूं ?

ग्राहक :---हां ।

बजाज :--- चलो एक आना टोटा ही सही, 13 आने दे दो तुमको लेना हो तो लो ।

ग्राहक :--- मैं सत्य सत्य कहता हूं कि इसका आठ आने से अधिक कोई भी तुमको ना देगा ।

बजाज :---तुमको लेना हो तो लो, ना लेना हो तो मत लो ।परमेश्वर की सौगंध । बारह आने का तो मुझको पड़ा है, तुमको भला मनुष्य जान कर दे देता हूं । संकलनकर्ता :---- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री

ग्राहक :---धर्म की सौगंध, मैं सच कहता हूं । मुझको देना हो तो दे, पीछे पछतावेगा । मैं तो दूसरे की दुकान से ले लूंगा । क्या तुम्हारी एक ही दुकान है ? नौ आने गज दे दो, नहीं तो मैं जाता हूं ।

 बजाज :-_- तुमने कभी ऐसा कपड़ा खरीदा भी है ? नौ आने गज लाओ,  मैं ₹100 का लेता हूं ।

ग्राहक धीरे धीरे चला कि मुझ को बुलाता है अथवा नहीं ।बजाज तिरछी नजरों से देखता रहा कि देखें यह लौटता है या नहीं ? 


जब वह ना लौटा तब बोला, "सुनो इधर आओ ।"

 ग्राहक :--- क्या कहते हो नौ आने का दोगे ?

बजाज :--- ऐ लो, धर्म से कहता हूं कि 11 आने भी दोगे ?

ग्राहक :--- साढ़े नौ आने ले लो । कहकर कुछ आगे चला  ।बजाज ने समझा कि यह  हाथ से गया ।

बजाज :-++ अभी इधर आओ, आओ ।

ग्राहक :--+ क्यों तुम देर लगाते हो । व्यर्थ समय जाता है ।

बजाज :--- मेरे बेटे की सौगंध ! तुम इसको ना लोगे तो पछताओगे । अब मैं सत्य ही कहता हूं । साढ़े दस आने दे दो, नहीं तो तुम्हारी राजी । संकलनकर्ता :---- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री

ग्राहक :---- मेरी सौगंध ! तुमने दो आने अधिक लिए हैं । अच्छा 10 आने देता हूं । इतने का है तो नहीं ।

बजाज :--- अच्छा सवा दस आने भी दोगे ?

 ग्राहक :--- नहीं नहीं, 

बजाज :---अच्छा लाओ, बैठो कितने गज  लोगे ?

ग्राहक :--- सवा गज ।

 बजाज :---अजी, कुछ अधिक लो ।

ग्राहक :---- अच्छा नमूना ले जाते हैं । अब तुम्हारी दुकान देख ली । फिर कभी आएंगे तो बहुत लेंगे ।

बजाज ने नापने में कुछ सरकाया ।

ग्राहक :--- अजी देखें तो, तुमने कैसे नापा ?

बजाज :--- क्या विश्वास नहीं करते हो ? हम साहूकार हैं या ठट्ठा हैं ? हम कभी झूठ कहते और करते हैं ।

ग्राहक :--- हां जी, तुम बड़े सच्चे हो  । ₹1 कह कर 10 आने तक आए । छः आने घट गए । अनेक सौगंध खाई । 

बजाज :--- वाह जी, वाह । तुम बड़े सच्चे हो ? छः आने का कहकर  10 आने तक देने को तैयार हो । अनेक सौगंध खा खाकर आए । सौदा झूठ के बिना कभी नहीं हो सकता ।

ग्राहक :----तू बड़ा झूठा है  ।

बजाज :---क्या तू नहीं है ? क्योंकि एक गज कपड़े के लिए कोई भी भला मनुष्य इतना झगड़ा करता है ?

 ग्राहक :--- तू झूठा, तेरा बाप झूठा ।  हमारी सात पीढ़ी में कोई झूठा नहीं हुआ है । संकलनकर्ता :---- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री

बजाज :---तू झूठा तेरी सात पीढ़ी भी झूठी । ग्राहक ने ले जूता, एक मार दिया । बजाज ने चट गज मारा । अड़ोसी पड़ोसी दुकानदारों ने जैसे-तैसे छुड़ाया ।

बजाज :--- चल चल । जा तेरे जैसे लाखों देखे हैं ।

ग्राहक :--- चल बे,  तेरे जैसे जुआ चोर टट्टू जिए । दुकानदार मैंने करोड़ों देखें ।

अड़ोसी पड़ोसी :---अजी झूठ के बिना कभी सौदा भी होता है ? जाओ जी, तुम अपनी दुकान पर बैठे और जाओ तुम अपने घर को ।

 बजाज :--- यह बड़ा दुष्ट मनुष्य हैं ।

ग्राहक :--- अबे सुन । मुख संभाल के बोल ।

बजाज :-- तू क्या कर लेगा ? 

ग्राहक :---तेरा जो मैंने किया, सो तन्ने देख लिया और कुछ देखना हो तो दिखाता हूं । 

बजाज :--- क्या तू गज से ना पीटा जाएगा ? फिर दोनों लड़ने को दौड़े ।

जैसे तैसे लोगों ने दोनों को अलग अलग कर दिया । ऐसे ही  सर्वत्र झूठे लोगों की दुर्दशा होती है ।