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शनिवार, 23 जनवरी 2016

Dayanand

सब माता-पिता  आदि मनुष्यों को अपनी-अपनी सन्तानों में विद्या-स्थापन करना चाहिए । जिस प्रकार प्रकाशमय सूर्य सबको प्रकाशित कर आनन्दित करता है, उसी प्रकार से विद्यायुक्त पुत्र और कन्याएँ माता-पिता को सब प्रकार से सुख देते हैं ।

सर्वैर्माता पित्रादिभिः मनुष्यैः  स्व स्व संतानेषु  विद्या स्थापनीया । यथा प्रकाशमयः सन् सूर्यः सर्वं प्रकाश्य   आनन्दयति तथैव विद्यायुक्ताः पुत्राः कन्याश्च सर्वाणि सुखानि ददति ।
(ऋग्वेद--1.11.71.5)
महर्षि दयानन्द सरस्वती